कब तू मेरी थी और कब में तेरा था
बो तो बस एक सपना था न वो तेरा था न वो मेरा था!
बो तो बस एक सपना था न वो तेरा था न वो मेरा था!
ये तो जिंदगी का सफ़र था जिसमे न कोई तेरा था और न कोई मेरा था
वो पल जो याद बनकर रह गया न वो तेरा था और न वो मेरा था!
हम जिस दुनिया में आये उसमे न शाम थी न सबेरा था
वो तो बस दो पल का मेला था
वो तो बस दो पल का मेला था
जिस कसती में सबार थे हम उस कश्ती का किनारा न तेरा था और न वो मेरा था !
जो जख्म तेरे दिल में थे वो जख्म मेरे दिल में भी थे
जो दर्द तुझे था वो ही दर्द मुझे भी था!
न तू पगली थी और न में पगला था
उसे दुनिया क्या समझेगी जिसे कभी अपनों ने नहीं समझा था!
न वो पगली थी और न में पगला था
न मुझे कुछ हासिल हुआ न उसे कुछ हासिल होना था!
ये तो बस एक झूठा सपना था न वो तेरा था न वो मेरा था
जो दर्द तुझे था वो ही दर्द मुझे भी था!
न तू पगली थी और न में पगला था
उसे दुनिया क्या समझेगी जिसे कभी अपनों ने नहीं समझा था!
न वो पगली थी और न में पगला था
न मुझे कुछ हासिल हुआ न उसे कुछ हासिल होना था!
ये तो बस एक झूठा सपना था न वो तेरा था न वो मेरा था
न मरने की तेरी चाहत थी और न मरने का मेरा बहाना था
पर हमें क्योकि दुनिया में प्यार का नाम जो चलाना था!
कब तू मेरी थी और कब में तेरा था
न तू पगली थी और न में पगला था !
पर हमें क्योकि दुनिया में प्यार का नाम जो चलाना था!
कब तू मेरी थी और कब में तेरा था
न तू पगली थी और न में पगला था !
न तू जुदा थी मुझसे न जुदा में तुझसे था
क्योकि दो जिस्म एक जान का वो रिश्ता था!
क्योकि दो जिस्म एक जान का वो रिश्ता था!
न भुलाया कभी तुझे मेने न भुलाना चाहता था
में तो बस तुझे अपना बनाना चाहता था!
में तो बस तुझे अपना बनाना चाहता था!
पर क्या बताए खुदा को ये गवारा था
न वो तेरे साथ था और न वो मेरे साथ था!
न वो तेरे साथ था और न वो मेरे साथ था!
हमने आज मोंत को गले लगाया न ये तुझे गवारा था न ये मुझे गवारा था
पर मंजिल ही वही थी हमारी जहाँ तुझे भी जाना था और मुझे भी जाना था! .....पवन.......