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Tuesday, December 27, 2011

आज तक जीता तो कुछ नहीं .......

 
आज  तक जीता तो कुछ नहीं ,
पर हारने के लिए बहुत कुछ है

ले जा रहे हो हीरे, जबह्रात शोक से ले जाओ
असली दोलत तो मुझमे कैद है ...

माँ के आँचल के दूध  की मिठाश ,
माँ की लोरियों की गूँज अब तक मेरे कानों में है ...

आई बात अगर कभी उसे मुझसे चुराने की ,
ये गुनाह न करना ,,..?
क्योकि मेरी सांसे उसकी सांसों  में कैद  है
                                                           .                                                  
                                            ..                      .Gurjar....

Sunday, December 25, 2011

हर नगर ढुंढता हूँ ,हर डगर ढुंढता हूँ ....


हर नगर ढुंढता हूँ ,हर डगर ढुंढता हूँ
हर नगर ढुंढता हूँ ,हर डगर ढुंढता हूँ
कभी खुली पलकें ,तो कभी
 बंद पलकों से  ढुंढता हूँ
कभी रोगी तो कभी ,
जोगी बनकर  ढुंढता हूँ ..
मत पूछो मुझसे ,
किस तरह किस हाल  में ढुंढता हूँ...
खावोँ में ढुंढता हूँ,ख्यालों में ढुंढता हूँ
तुझे अपनों में  ढुंढता हूँ ,तुझे  परायों में  ढुंढता हूँ
कभी दिन तो ,कभी रातों को  ढुंढता हूँ
कभी गज़ल तो ,कभी गीतों में  ढुंढता हूँ ...
न जाने तुम खाव हो या हकीक़त ,
होकर दीवाना, दीवानों सा  ढुंढता हूँ ...
में तो इस जहाँ में सिर्फ तुम्हारे लिए आया हूँ
किस पल मिलोगी सिर्फ ,
इस आस  में जिंदा रह पाया हूँ
खाव देखें तुम्हारे संग जीने के ,
खाव सारे समेट लाया हूँ ...
में सिर्फ तुम्हारे लिए आया हूँ
में भी तुम्हारा इंतजार बनू ,
प्यार की न जाने, कितनी सोगात  लाया हूँ ...
तुम्हें अपने दिल में उतारने आया हूँ
जितना सच है सारा बताने आया हूँ
में तुझे खोने नहीं पाने आया हूँ ....
तेरी जुल्फों की छाव में सूरज ढले ,
में भी तेरी बाहोँ में सिमटे साथ तुम्हारे ,
ढलते सूरज को निहारने आया हूँ ...
कभी महसूश भी नहीं किया था, प्यार क्या होता है ....?
सुना है मीठा दर्द होता है,
में भी संग तुम्हारे इस दर्द में जीने  आया हूँ ..
तुम दरवाजे पर खड़ी मेरा इंतजार करो ,
तुम तड़फ उठो मेरे लिए ,हाँ में वो तड़फ बनने आया हूँ ..
तुम रूठो तो सही में तुम्हें मनाने आया हूँ
धड़कने तो दिल की मेरी भी रुक जाती है
तुम पास मेरे जब नहीं होती हो ,
वो ही धड़कने तुम्हें गिनवाने आया हूँ ..
ये आखिरी ख़त है मेरा ,सिर्फ तुम्हें समझाने आया हूँ
वही तुम्हारा इंतजार ,फिर से दोहराने आया हूँ .....
..Gurjar ...

Saturday, December 24, 2011

मुझसे ही मिलना चाहते हो ,...........



मुझसे ही मिलना चाहते  हो ,
मुझसे ही बिछड़ना चाहते हो....

नाम मेरा  खुद ही लिखते हो अपनी हथेली पे ,
और खुद ही मिटाते हो ....

हम तो सिर्फ तुम्हे चाहते है ,
पर न जाने तुम क्या चाहते हो .....

तुम सच  में मुझे भुलाना चाहते हो ,
या फिर युही बुद्धू बनाते हो ...

इस तरह हर पल दर्द देना अच्छी  बात नहीं,
दिल की बात तो बताओ मुझे ,जो मुझसे ही तुम छुपाते हो ...
.
जब तड़फ उडती हूँ ,तुम्हारे लिए ,
क्यों एक आवाज में दोड़े चले आते   हो .
..
फिर पूछती हूँ ये   क्या है ,?
तो रोते हुये क्यों सीने से लिपट जाते हो........
....Gurjar ...

Wednesday, December 14, 2011

तुम्हें गजल कह दूँ ,अच्छी बात ........

 
 
तुम्हें  गजल कह दूँ ,अच्छी  बात
तुम्हें  गुनगुनाना मुश्किल होगा.....

तुम्हें  खाव कह दूँ ,अच्छी बात
तुम्हें  आंखों में उतारना मुश्किल होगा .....

तुम्हें चांदनी कह दूँ ,अच्छी  बात
तुम्हारी रौशनी में भीगना मुश्किल  होगा ......

तुम्हें दिल कह दूँ ,अच्छी बात
मुझे धड़कन बनना मुश्किल होगा ....

तुम्हें रूप कह दूँ ,अच्छी बात
मेरा  दर्पण बनना  मुश्किल होगा......

 तुम्हें समुद्र  कह दूँ ,अच्छी बात
मेरा नदी बन पाना मुश्किल होगा .....

तुम्हें रव कह दूँ ,अच्छी बात
तुम्हें पूज पाना मुश्किल होगा ........
                                                                                        >>>>B.S.Gurjar<<<<

Sunday, December 11, 2011

में आज कल एक गजल लिख रहा हूँ .........




"गज़ल "

 में आज  कल एक गजल लिख रहा हूँ
 वीते हुए कुछ पल लिख रहा हूँ
तेरे चहरे को कमल ,जुल्फों को काली घटा लिख रहा हूँ
में आज  कल एक गजल लिख रहा हूँ ....

न दिन की खबर न रात की ,
हर पल की हर एक बात लिख रहा हूँ
में आज  कल एक गजल लिख रहा हूँ
 वीते हुए कुछ पल लिख रहा हूँ .......

'मोशकी' में डूबे शहर की कुछ कहानियां लिख रहा हूँ
घुंघरू की झंकार ,बिंदिया की चमक लिख रहा हूँ
में आज  कल एक गजल लिख रहा हूँ
 वीते हुए कुछ पल लिख रहा हूँ .......

महफ़िल से दूर वीराने में लिख रहा हूँ
भीगती  बरसात ,कड़कती धुप में लिख रहा हूँ
में आज  कल एक गजल लिख रहा हूँ
 वीते हुए कुछ पल लिख रहा हूँ .......

उसे चाँदनी ,खुद को चाँद लिख रहा हूँ
वो हुस्न  की चादर ओढ़े ,उसे चुपके -२ भीगे बदन देख रहा हूँ
में आज  कल एक गजल लिख रहा हूँ
 वीते हुए कुछ पल लिख रहा हूँ .......

होटों की नरमी ,दिल की चुभन लिख रहा हूँ
सिसकियाँ ,मुझपे गिरती बिजलियाँ लिख रहा हूँ 
में आज  कल एक गजल लिख रहा हूँ
 वीते हुए कुछ पल लिख रहा हूँ .......

मीठी सी चुभन ,मीठा सा दर्द लिख रहा हूँ
यादों से चुराये कुछ पल लिख रहा हूँ
में आज  कल एक गजल लिख रहा हूँ
 वीते हुए कुछ पल लिख रहा हूँ .......

वही झूंठी याद ,तेरा अहसाश लिख रहा हूँ
तेरी आंख से गिरे आँसू की तड़फ लिख रहा हूँ
में आज  कल एक गजल लिख रहा हूँ
 वीते हुए कुछ पल लिख रहा हूँ .......

भरी महफ़िल में  उदाश लिख रहा हूँ
तेरी कमी को होकर सर्मशार लिख रहा हूँ
में आज  कल एक गजल लिख रहा हूँ
यादों से चुराये कुछ पल लिख रहा हूँ ..........

होके मजबूर ,तुझ से दूर होकर लिख रहा हूँ
देख मेरी आंखों में , आंखें भर -२ लिख रहा हूँ
मरने के बाद भी प्यार, बेसुमार लिख रहा हूँ
में आज  कल एक गजल लिख रहा हूँ
 वीते हुए कुछ पल लिख रहा हूँ .............

>B.S.Gurjar<

Saturday, December 10, 2011

इस राज़ को राज़ रहने दो .....


इस राज़ को राज़ रहने दो
इस बात को बात रहने दो

कहना चाहते है दिल की बात ,
बात दिल की कहने दो ...
मत रोको दिले नादान को
नादानियाँ आज इसे करने दो ....

धुप सी खिली ....
  अचानक मिली  इस ख़ुशी को,
दामन में मेरे खिलने दो .....

क्यों मचाते हो शोर ....
.इस राज़ को राज़ रहने दो

कुछ पल और जीलुँ ... ..
यादों के संग उसके ...
कम से कम उसे ,
     मेरी यादों में रहने  दो                                                     
                                               B.S.Gurjar