Text selection Lock by Hindi Blog Tips

Tuesday, January 31, 2012

मुझे मेरे बाद मेरे दीवाने ढूंढते हे.....



मुझे मेरे बाद मेरे दीवाने ढूंढते हे
चला के मुझे अंगारों पे फर्फ़ के ढेले ढूंढते हे
मुझे मेरे बाद मेरे दीवाने ढूंढते हे....

गुजर जाते थे जो गुमसुम मेरे करीव से ,
आज वो मेरी रूह को  ढूंढते हे
मुझे मेरे बाद मेरे दीवाने ढूंढते हे ....

तूफां में फंसाके कसती मेरी ,
दुआ मेरी सलामती की कबूलते हे
मुझे मेरे बाद मेरे दीवाने ढूंढते हे ......

नजरें चुराना आदत हो गयी थी जिनकी ,
वो अब हर रोज हमें खावोँ में ढूंढते हे
मुझे मेरे बाद मेरे दीवाने ढूंढते हे ......

जिनकी आदत थी हर पल रुलाना,
आज वो मेरे चहरे पे हंशी ढूंढते हे
मुझे मेरे बाद मेरे दीवाने ढूंढते हे ....
...///...गुर्जर...///...

Saturday, January 28, 2012

क्यों दोढ़ हूँ ख़ुशी से इसमे बड़ी बुराई है .........



क्यों दोढ़  हूँ ख़ुशी से इसमे बड़ी बुराई है
क्या थी मेरी हालत पहले और क्या अब बनायीं हे
समझा था जिस जिंदगी को अपना निकली वो परायी हे
क्या थी मेरी हालत पहले और क्या अब बनायीं हे .........

सच तो ये है की सारी दुनिया आज परायी हे
सात फेरों से बंधा हे जो बंधन उसमे भी बुराई हे
जिसे हमने बनायीं थी आपनी,निकली वो हरजाई हे 
क्या थी मेरी हालत पहले और क्या अब बनायीं हे .........

कर रहा हूँ इंतजार मोत का ,पर इसमे भी बड़ी कठनाई  हे
कटती नहीं ज़िंदगी आसानी से
 हर कदम पर बोछार दुश्मनो की आई हे
कभी बनके आ गयी गरीबी दुश्मन तो कभी बनके आ गयी बीमारी है
क्या थी मेरी हालत पहले और क्या अब बनायीं हे...

इसमे दोष नहीं भगवान् का ,किस्मत ने की भरपाई है
जिंदगी तो दे दी मगर मोत से बत्तर बनायीं हे
क्या थी मेरी हालत पहले और क्या अब बनायीं हे......

जन्मदाता ने तो अपना कर्म निभाया हे
इसे में अपना दुर्भाग्य  समझू या पाप जो ये जीवन पाया हे
क्यों दोढ़  हूँ ख़ुशी से इसमे बड़ी बुराई है
क्या थी मेरी हालत पहले और क्या अब बनायीं हे .....

छोड़ सच्चाई का दामन झूंठ से प्रीत लगायी है
सच से चलती नहीं ये दुनिया झूंठ से सबने इसे चलायी हे
 झूंठ बोल - बोल कर नेताओं ने की, पैसों की भरपाई    हे
बच कर निकल जाते हे नेता, पर फंसती जनता बेचारी  हे
इनके  घर तो रोज होती दिवाली ,पर मईयत तो जनता ने उठाई हे

क्यों दोढ़  हूँ ख़ुशी से इसमे बड़ी बुराई है
क्या थी मेरी हालत पहले और क्या अब बनायीं हे
समझा था जिस जिंदगी को अपना निकली वो परायी हे
क्या थी मेरी हालत पहले और क्या अब बनायीं हे .........


.///... गुर्जर ...///....    ....

Thursday, January 26, 2012

उसने की नहीं बफा तो में क्या करूँ......




उसने की नहीं बफा तो में क्या करूँ ,
उसकी बेबफाई तो मेरे साथ थी ........

वो नहीं मेरे साथ तो में क्या करूँ ,
उसकी याद तो मेरे साथ थी .....

इस तरह उजड़ जाएगी
बाद उसके मेरी दुनिया तो में क्या करूँ
कुछ पल के लिए तो वो मेरे साथ थी ......

वो सोचती होगी मेने उसे भुला दिया
तो में क्या करूँ
बाद मरने के वो कब मेरे साथ थी ....

दर्द मेरा ज़माने  से जुदा था तो में क्या करूँ
मुझे तो मरने के बाद भी सिर्फ उसकी तलाश थी ....
..////..Gurjar..////....

Sunday, January 22, 2012

वो रात कटी तो बात कटी......



वो रात कटी तो, बात कटी
ये बात कटी तो, रात कटी ...

वो रात छुपी तो, आँख छुपी
ये आँख छुपी तो, रात छुपी ...

वो एक दाम वसी तो, एक दाम बिकी
ये एक दाम बिकी तो, एक दाम वसी ...

वो सुरताल बसी तो, सुरताल लगी
ये सुरताल वसी तो, सुरताल सजी ....

वो हर बार हंशी तो, हर राह हंशी 
ये हर राह हंशी तो, हर राह सजी ...

वो एक प्यार वसी तो, खुमार लगी
ये एक खुमार लगी तो, प्यार वसी ....

वो एक दर्पण वनी तो, श्रृंगार लगी
ये एक श्रृंगार वनी तो, दर्पण सजी...

वो एक हुश्न की धरोहर लगी तो, यादगार बनी
  ये  धरोहर वनी तो, जग को एक चमत्कार लगी..
....///..Gurjar..///.... 

Saturday, January 21, 2012

ये आदत मेरी न थी.......



ये आदत मेरी न थी ,
पर आजकल ये आदत मेरी हो गयी.....

कुछ पल रोज ही खड़े रहना
आईने के सामने ,मेरी आदत सी हो गयी .....

जब से हुए हो जुदा हमसे ,
जिंदगी बंजर सी हो गयी है

क्यों न झाँकू आइना ..?
आजकल  मोहोब्बत आइने से जो हो गयी...

वो एक दोर था, जब तुम मुझसे दूर हुए थे
कुछ वादे मोहोब्बत के चूर हुए थे

 न चाहते  हुए भी हम दूर हुए थे
वो ख़त मेने जलाये नहीं
हम उन खातों को जलाने, पे मजबूर हुए थे

उस दर्द को महसूश करो
क्यों हम इतने मजबूर हुए थे ....

लाख मना किया था तुमने
पर फिर भी तस्वीरें तुम्हारी,
 फैंकने को हम मजबूर हुए थे .....

आज फिर जागी  है मोहोब्बत दिल में ,
हाथों मोहोब्बत के आज फिर हम मजबूर हुए थे ..

तस्वीर आज भी तुम्हारी मेरी आंखों में है
 इन आंखों से हम तुम्हे दूर कर न सके.....

शोक आजकल नया हमें लगा है ..
दर्पण से रोज बातें करना ,एक शोक  सा लगा है ..

ये आदत मेरी न थी ,
पर आजकल ये आदत मेरी  हो गयी.....

कुछ पल रोज ही खड़े रहना
आईने के सामने, मेरी आदत सी हो गयी .....
....///....Gurjar...///.....

Monday, January 16, 2012

में एक सायर हूँ........



में एक सायर हूँ,
 ये मेने कब जाना
जब तुम्हारे होटों पे मेरे अल्फाज सजने लगे

में तनहा हूँ ,
ये मेने कब जाना
जब दामन तुमने मुझसे छुड़ा लिया

में एक मोसम हूँ .
ये मेने कब जाना
जब तुम्हारी यादों से गिरा एक टूटे पत्ते की तरह

में सिर्फ एक रात हूँ
ये मेने कब जाना
जब संग तेरे में चल न सका

में एक दर्द हूँ
ये मेने कब जाना
जब दबा दिल की दूंड न सका

में सिर्फ एक खाव हूँ
ये मेने कब जाना
जब में तुम्हे हकीक़त कह न सका ....
....//...Gurjar...//.....

Wednesday, January 11, 2012

में तो जग जीत लूँ .........

में तो सब सीख  लूँ
तुम सिखाओ तो सही...

में तो सब पड़ लूँ
तुम पड़ना सिखाओ तो सही   .....

में तो सब देख लूँ
तुम दिखाओ तो सही....

 में तो जग जीत लूँ
तुम मुझे जीतना सिखाओ तो सही ....

में अँधेरे से डरूँ नहीं..?
संग अँधेरे के  लड़ना सिखाओ तो सही...

  में भी हंश लूँ
मुझे हँसना सिखाओ तो सही ....

में भी सीने से लिपट के रोलुँ
पर सीने से शराब हटाओ तो सही .....

मुझसे भी रिश्ता है आपका ...?
कभी मेरी कमी भी, महसूश करो तो सही ....

सिंदूर फीका  है तो ...?
पहचान अपने लहू  की, करो तो सही .....

जाम तो रोज ही भरते हो .
कभी सपने मेरे जीवन के ,
अपनी आंखों  से बुनो तो सही ...
में भी मरने का खाव छोड़ दूँ ...
मुझे जिन्दा रहने की कोई बजह बताओ तो सही ....

में भी ऊँगली पकड़ के संग चलूँ तुम्हारी ..
पर संभल के चलना सीखो तो सही .....

में भी तुम्हे शाम -सबेरे पूजूँ
छवि राम सी खुद में लाओ तो सही ..
.
....B.S.Gurjar ..

Wednesday, January 4, 2012

ये भी एक दर्द है .....



आजमाईश तो नेक बंदों की होती है
कभी खुदा को  आजमाया नहीं जाता है......

घर लोटकर आने वाले का सिर्फ इंतजार किया करते है
कभी गुम हुए लोगों का मातम नहीं मनाया जाता है

प्यार में मर मिटने वाले तो मर मिटते है
फिर मुर्दों से गुनाह कबूल कराया  नहीं जाता है

बे गुनाह को ही सजा मिलती है...?
कभी जिन्दा लोगों को दफनाया नहीं जाता है ....... 

                     //.....Gurjar.....//