माटी का बमिला है मेरा
में हूँ सिर्फ एक इंसान
राम -२ चाचा जी ,आदाव चाचा जान!
माटी का बमिला है मेरा
में हूँ सिर्फ एक इंसान!
मुबारकी का दोर हुआ शुरू ख़तम हुए रमजान
ईद मुबारक अम्मी जान ,ईद मुबारक अब्बू जान!
माटी का बमिला है मेरा
में हूँ सिर्फ एक इंसान!
खब्जा हर एक दुआ कबूल करे मेरी
फतह किये है मैंने रोजे पूरे!
क्यों मजहब की कुल्हाड़ी उठाते है लोग
सब कुछ तो है एक समान!
सीचना है तो प्रेम की वर्षा करो
राम रहीम सब तो है एक समान
राम -२ चाचा जी ,आदाव चाचा जान! ... ईद मुबारक
>B.S.Gurjar<