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Thursday, August 23, 2012

निकले और भी कई बहाने.....

 
निकले और भी कई बहाने
 दिल अपना बहलाने के..

ढुढता हूँ बहाने फिर
उसके मोहोल्ले में जाने के ...

तकदीरों का भरोषा छोड़ा
कोशिश कर रहा हूँ
 तस्वीरों से उसकी दिल लगाने की ..

निकले और भी कई बहाने
दिल आपना बहलाने के ...

अपना ही जहाँ  छूटा
किसी अपने के चले जाने से
कोशिश कर रहा हूँ
मेरा खुद का जहाँ बनाने की ...
....Gurjar...

Monday, July 30, 2012

गिर के संभलना मुझे नहीं आता.......


गिर के संभलना मुझे नहीं आता
कोन सी करवट लूँ समझ नहीं आता ...

जग रोशन हे  ,
न जाने क्यों मेरे घर से ही अँधेरा नहीं जाता .....
बहुत समझता हूँ खुद को पर कुछ समझ नहीं आता
भूँखा सोया रहता हूँ में अपनी झोंपड़ी में ,
मुझे एक गिलाश पानी भी देने ,मेरा कोई अपना नहीं आता ....

माना मेरा शहर तो गुमनाम हे,
पर जानबूझ के भी मुझे कोई अपनाने नहीं आता ....

रात की ओखली में दिन का कोई पहर नहीं आता
 तडफता रहता हूँ अपने दर्द को सिरहाने रखकर ,
मुझसे मेरा दर्द वांटने मेरा कोई अपना नहीं आता .....

जब भी करता हूँ मुनाफे का सोदा,
कर्जदार मेरा कर्ज लोटने कभी वपिश नहीं आता .....

चंद सिक्कों की गूंज से मन बहला लेता हूँ ,
मुझे रुपयों की ढेर पे सोना नहीं आता ......
....B.S.Gurjar...

Friday, July 27, 2012

वो मुझे मेरी परछाई सी लगती हे ....


वो मुझे मेरी परछाई सी लगती हे ....
चुपके -२ वो मेरे दिल की धड़कने पड़ती हे ....

जरा सी नटखट जरा सी चुलबुली सी लगती हे
वो मेरे गाव की सोंधी मिट्टी सी लगती हे .....

वो मेरी परछाई सी लगती हे
जैसे नदियों के पानी में हिलोर सी लगती हे......

वो मेरे आँगन की मुंडेर सी लगती हे
खाली-२ आसमा में इन्द्रधनुष सी लगती हे....

जिसे में अपने कवितओं में पिरों सकूँ ,
वो मुझे ग़ालिब के चंद कीमती लफ्जों सी लगती हे....
वो मुझे मेरी परछाई सी लगती हे ....

....B.S.Gurjar ....

Sunday, June 17, 2012

शुकराना तेरा करूँ कितना ......



शुकराना तेरा करूँ  कितना
मेने न चाहा था कभी जितना ...

लगा के तिलक हर रोज
तुझे पूजा  था मेने कितना ...

आज भी मेरे दोनों हाथ खली हे
तुने ,मुझे दिया ही कितना ......

....B.S.Gurjar ...

Monday, May 28, 2012

लोट आओ फिर दुनिया में मेरी ....

      
 ......गज़ल ........


लोट आओ फिर दुनिया में मेरी
तनहा हम जी नहीं सकते ......


कोशिसे तमान करते हे भुलादे तुमको
जीते जी हम तुम्हे भुला नहीं सकते ......


मेरी खुशियाँ तुझ से हे
बिन तुम्हारे गमों से हम दूर जा नहीं सकते ......


लोट आओ फिर दुनिया में मेरी
तनहा हम जी नहीं सकते ......


मोसम ए मोसम वीत जायेगा तनहा यूही
चाहते हुए भी हम तुम्हे सीने से लगा नहीं सकते .......


हम से  रूठो तो बात कुछ और हे तुम तो रूठे हो खुद से
हम चाहते हुए भी तुम्हे मना नहीं सकते .........


लोट आओ फिर दुनिया में मेरी
तनहा हम जी नहीं सकते ......


दुनिया मेरी खली हे तुझ बिन
किसी और को तुम्हारी जगह हम दे नहीं  सकते ....


रोते हे  हम तन्हायियोँ में अक्सर
जख्म दिल के हर किसी को बता नहीं सकते ......


लोट आओ फिर दुनिया में मेरी
तनहा हम जी नहीं सकते ...

./////...Gurjar..///...

Sunday, May 20, 2012

कहानी सात फेरों की .....;.................................



 जो रिश्ता तुम सम्भाल न सके
उस रिश्ते को जोड़ने  से क्या फायदा ...

क्यों लेते हो कसम सात जन्मों  की
मोल एक  जन्म  का ,भी  न जान सके
ऐसी कसमे खाने का क्या  फायदा .....

योबन , श्रिंगार तो   बहुत भाए
क्या मोल  उस श्रिंगार का
जो बढ़ो  का  लिहाज कभी किया ही   नहीं ......

क्या करों में इन उपाधियों का
पाठ परिवार में मिलजुल कर रहने का  कभी पढ़ा  ही नहीं ...... 
...Gurjar...

Saturday, May 5, 2012

मेरे चेहरे पे हशी न ढूंडो ......




मेरे चेहरे पे हशी न ढूंडो 
गमों से मेरा याराना है .....

मोहोब्बत में मिली दगा 
और दोस्तों ने दिया मुझे मैखाना है.....

बना बैठा में घर को अपने मेखाना
लोग कहते है मुझसे ये कोई दीवाना  है ....

अब तो हुआ बोतलों का शोर पुराना है

मुस्किल लगता जख्मों को सिल पाना है ...

..///..Gurjar..///..

Friday, May 4, 2012

वक़्त आया फिर एक ......

 
 
वक़्त आया फिर एक तस्वीर खूबसूरती की लेकर ..
लम्हे बेताब हे  युही तनहा गुजर जाने को ....

पहली फुहार जाने किस लम्हे की याद लायी
कुछ अधूरे पन्ने सिहाई के जो मुहताज  थे 

गुजारिश आज फिर से कर रहे हे
की तुम्हे सावन  की पहली फुहार में 
फिर से एक बार आपने गीतों में ढालूँ.....
///...Gurjar ..///

Thursday, May 3, 2012

सुबहा का आलम न जाने.......



सुबहा का आलम न जाने
फिजाओं  में ये कैसा रंग घुल सा गया हे...

बे हिसाब से पंछीयों की चह -चाहट
मन की प्रसन्नता का राज़ खोल रही सुनहरी धुप ....

मेने अपना ठिकाना बदला नहीं ...
दिल की अंजुमन में फिर वही खलिश वाकी हे  

उठा के पलकों से सोदे मोहोब्बत के कर ले
खुले आसमान में हमकदम मुझ चुन ले ....

यकी हो तो आजमाउं पहले खुद पे तो भरोशा कर लूँ
डर जाती हूँ  खुद ही उन् सूखे पत्तों  के दरमियाँ 

यूं महसूश होता हे के तुम मेरे करीब से गुजरे हो .......
क्या मेरा अक्स उभरा हे 
जो ये हशी आलम गुनगुना रहा हे .....

.//..B.S.Gurjar ..//..

Friday, March 9, 2012

कदम दर कदम ....



कदम दर कदम हम थकते जायेंगे
पन्ने जीवन के हम पलटते जायेंगे !

गीत कोई नया गीत कोई पुराना हम गुनगुनाएगे  
भरी दोपहरी में भी हम  ऑफिस जायेंगे !

भले आज जाना पड़े घर चलकर पैदल रिक्से के रुपये बचायेंगे !
फरमाईस प्रिये तुम्हारी जरूर पूरी करके आयेंगे ! 

B.S.Gurjar


Thursday, February 16, 2012

भीगा कुछ शाम का मंजर......( 100 ,post).....



भीगा कुछ शाम का मंजर
ख़यालात झांके कभी बहार
तो कभी अन्दर 

सूना मेरा गुरुद्वारा सूना मेरा मंदर
ये लहरे कैसी उठ रही है,
हेरान है आज खुद समंदर 

दर्द का पिटारा खोलूँ किसके सामने 
 सब तो लगा के दरबाजा घूश गए अंदर

लग जा गले से मेरे ऐ शाम ,
आज सोया है समुन्दर 

किरकिरी इन  आंखों  की,
 बही शाम के मंज़र...

ज़मी  की पुकार पे रोया आसमान पर ,
खामोश खड़ा रहा समुन्दर .....
        ...///..गुर्जर ..///...


Saturday, February 4, 2012

चलते भी जाना हे ...

 
 
चलते भी जाना हे
रुकते भी जाना हे..

कोई समझाये भी हमें ,
किसी को समझाना भी हे

कोई पास आये हमारे ,
किसी के पास जाना भी हे

कोई याद आया हमें ,
किसी को हमें याद आना भी हे 

किसी ने भुलाया हमें ,
किसी को हमें भुलाना भी हे

किसी ने मनाया हमें ,
किसी को हमें मनाना भी हे 

कोई ढूबा हे मेरी अन्खोँ में ,
किसी की अन्खोँ में ढूब जाना भी हे

मंज़िल वो भी ढूंढता हे अपने लिए,
मंज़िल तो मुझे भी पाना हे

सुबह का इंतजार कर रहा हे वो भी ,
एक रात और दिल को अपने बहलाना भी हे 

सुबह बाहोँ में टूटकर बिखरने को बेताब वो भी हे
काबू मेरा खुद पे रखपाना अब मुश्किल भी हे 

सोचता हे वो क्या ये सच हे
मेरा सपनो पे भरोषा करना मुश्किल भी हे .....

  ...//..गुर्जर..//...

Tuesday, January 31, 2012

मुझे मेरे बाद मेरे दीवाने ढूंढते हे.....



मुझे मेरे बाद मेरे दीवाने ढूंढते हे
चला के मुझे अंगारों पे फर्फ़ के ढेले ढूंढते हे
मुझे मेरे बाद मेरे दीवाने ढूंढते हे....

गुजर जाते थे जो गुमसुम मेरे करीव से ,
आज वो मेरी रूह को  ढूंढते हे
मुझे मेरे बाद मेरे दीवाने ढूंढते हे ....

तूफां में फंसाके कसती मेरी ,
दुआ मेरी सलामती की कबूलते हे
मुझे मेरे बाद मेरे दीवाने ढूंढते हे ......

नजरें चुराना आदत हो गयी थी जिनकी ,
वो अब हर रोज हमें खावोँ में ढूंढते हे
मुझे मेरे बाद मेरे दीवाने ढूंढते हे ......

जिनकी आदत थी हर पल रुलाना,
आज वो मेरे चहरे पे हंशी ढूंढते हे
मुझे मेरे बाद मेरे दीवाने ढूंढते हे ....
...///...गुर्जर...///...

Saturday, January 28, 2012

क्यों दोढ़ हूँ ख़ुशी से इसमे बड़ी बुराई है .........



क्यों दोढ़  हूँ ख़ुशी से इसमे बड़ी बुराई है
क्या थी मेरी हालत पहले और क्या अब बनायीं हे
समझा था जिस जिंदगी को अपना निकली वो परायी हे
क्या थी मेरी हालत पहले और क्या अब बनायीं हे .........

सच तो ये है की सारी दुनिया आज परायी हे
सात फेरों से बंधा हे जो बंधन उसमे भी बुराई हे
जिसे हमने बनायीं थी आपनी,निकली वो हरजाई हे 
क्या थी मेरी हालत पहले और क्या अब बनायीं हे .........

कर रहा हूँ इंतजार मोत का ,पर इसमे भी बड़ी कठनाई  हे
कटती नहीं ज़िंदगी आसानी से
 हर कदम पर बोछार दुश्मनो की आई हे
कभी बनके आ गयी गरीबी दुश्मन तो कभी बनके आ गयी बीमारी है
क्या थी मेरी हालत पहले और क्या अब बनायीं हे...

इसमे दोष नहीं भगवान् का ,किस्मत ने की भरपाई है
जिंदगी तो दे दी मगर मोत से बत्तर बनायीं हे
क्या थी मेरी हालत पहले और क्या अब बनायीं हे......

जन्मदाता ने तो अपना कर्म निभाया हे
इसे में अपना दुर्भाग्य  समझू या पाप जो ये जीवन पाया हे
क्यों दोढ़  हूँ ख़ुशी से इसमे बड़ी बुराई है
क्या थी मेरी हालत पहले और क्या अब बनायीं हे .....

छोड़ सच्चाई का दामन झूंठ से प्रीत लगायी है
सच से चलती नहीं ये दुनिया झूंठ से सबने इसे चलायी हे
 झूंठ बोल - बोल कर नेताओं ने की, पैसों की भरपाई    हे
बच कर निकल जाते हे नेता, पर फंसती जनता बेचारी  हे
इनके  घर तो रोज होती दिवाली ,पर मईयत तो जनता ने उठाई हे

क्यों दोढ़  हूँ ख़ुशी से इसमे बड़ी बुराई है
क्या थी मेरी हालत पहले और क्या अब बनायीं हे
समझा था जिस जिंदगी को अपना निकली वो परायी हे
क्या थी मेरी हालत पहले और क्या अब बनायीं हे .........


.///... गुर्जर ...///....    ....

Thursday, January 26, 2012

उसने की नहीं बफा तो में क्या करूँ......




उसने की नहीं बफा तो में क्या करूँ ,
उसकी बेबफाई तो मेरे साथ थी ........

वो नहीं मेरे साथ तो में क्या करूँ ,
उसकी याद तो मेरे साथ थी .....

इस तरह उजड़ जाएगी
बाद उसके मेरी दुनिया तो में क्या करूँ
कुछ पल के लिए तो वो मेरे साथ थी ......

वो सोचती होगी मेने उसे भुला दिया
तो में क्या करूँ
बाद मरने के वो कब मेरे साथ थी ....

दर्द मेरा ज़माने  से जुदा था तो में क्या करूँ
मुझे तो मरने के बाद भी सिर्फ उसकी तलाश थी ....
..////..Gurjar..////....

Sunday, January 22, 2012

वो रात कटी तो बात कटी......



वो रात कटी तो, बात कटी
ये बात कटी तो, रात कटी ...

वो रात छुपी तो, आँख छुपी
ये आँख छुपी तो, रात छुपी ...

वो एक दाम वसी तो, एक दाम बिकी
ये एक दाम बिकी तो, एक दाम वसी ...

वो सुरताल बसी तो, सुरताल लगी
ये सुरताल वसी तो, सुरताल सजी ....

वो हर बार हंशी तो, हर राह हंशी 
ये हर राह हंशी तो, हर राह सजी ...

वो एक प्यार वसी तो, खुमार लगी
ये एक खुमार लगी तो, प्यार वसी ....

वो एक दर्पण वनी तो, श्रृंगार लगी
ये एक श्रृंगार वनी तो, दर्पण सजी...

वो एक हुश्न की धरोहर लगी तो, यादगार बनी
  ये  धरोहर वनी तो, जग को एक चमत्कार लगी..
....///..Gurjar..///.... 

Saturday, January 21, 2012

ये आदत मेरी न थी.......



ये आदत मेरी न थी ,
पर आजकल ये आदत मेरी हो गयी.....

कुछ पल रोज ही खड़े रहना
आईने के सामने ,मेरी आदत सी हो गयी .....

जब से हुए हो जुदा हमसे ,
जिंदगी बंजर सी हो गयी है

क्यों न झाँकू आइना ..?
आजकल  मोहोब्बत आइने से जो हो गयी...

वो एक दोर था, जब तुम मुझसे दूर हुए थे
कुछ वादे मोहोब्बत के चूर हुए थे

 न चाहते  हुए भी हम दूर हुए थे
वो ख़त मेने जलाये नहीं
हम उन खातों को जलाने, पे मजबूर हुए थे

उस दर्द को महसूश करो
क्यों हम इतने मजबूर हुए थे ....

लाख मना किया था तुमने
पर फिर भी तस्वीरें तुम्हारी,
 फैंकने को हम मजबूर हुए थे .....

आज फिर जागी  है मोहोब्बत दिल में ,
हाथों मोहोब्बत के आज फिर हम मजबूर हुए थे ..

तस्वीर आज भी तुम्हारी मेरी आंखों में है
 इन आंखों से हम तुम्हे दूर कर न सके.....

शोक आजकल नया हमें लगा है ..
दर्पण से रोज बातें करना ,एक शोक  सा लगा है ..

ये आदत मेरी न थी ,
पर आजकल ये आदत मेरी  हो गयी.....

कुछ पल रोज ही खड़े रहना
आईने के सामने, मेरी आदत सी हो गयी .....
....///....Gurjar...///.....

Monday, January 16, 2012

में एक सायर हूँ........



में एक सायर हूँ,
 ये मेने कब जाना
जब तुम्हारे होटों पे मेरे अल्फाज सजने लगे

में तनहा हूँ ,
ये मेने कब जाना
जब दामन तुमने मुझसे छुड़ा लिया

में एक मोसम हूँ .
ये मेने कब जाना
जब तुम्हारी यादों से गिरा एक टूटे पत्ते की तरह

में सिर्फ एक रात हूँ
ये मेने कब जाना
जब संग तेरे में चल न सका

में एक दर्द हूँ
ये मेने कब जाना
जब दबा दिल की दूंड न सका

में सिर्फ एक खाव हूँ
ये मेने कब जाना
जब में तुम्हे हकीक़त कह न सका ....
....//...Gurjar...//.....

Wednesday, January 11, 2012

में तो जग जीत लूँ .........

में तो सब सीख  लूँ
तुम सिखाओ तो सही...

में तो सब पड़ लूँ
तुम पड़ना सिखाओ तो सही   .....

में तो सब देख लूँ
तुम दिखाओ तो सही....

 में तो जग जीत लूँ
तुम मुझे जीतना सिखाओ तो सही ....

में अँधेरे से डरूँ नहीं..?
संग अँधेरे के  लड़ना सिखाओ तो सही...

  में भी हंश लूँ
मुझे हँसना सिखाओ तो सही ....

में भी सीने से लिपट के रोलुँ
पर सीने से शराब हटाओ तो सही .....

मुझसे भी रिश्ता है आपका ...?
कभी मेरी कमी भी, महसूश करो तो सही ....

सिंदूर फीका  है तो ...?
पहचान अपने लहू  की, करो तो सही .....

जाम तो रोज ही भरते हो .
कभी सपने मेरे जीवन के ,
अपनी आंखों  से बुनो तो सही ...
में भी मरने का खाव छोड़ दूँ ...
मुझे जिन्दा रहने की कोई बजह बताओ तो सही ....

में भी ऊँगली पकड़ के संग चलूँ तुम्हारी ..
पर संभल के चलना सीखो तो सही .....

में भी तुम्हे शाम -सबेरे पूजूँ
छवि राम सी खुद में लाओ तो सही ..
.
....B.S.Gurjar ..

Wednesday, January 4, 2012

ये भी एक दर्द है .....



आजमाईश तो नेक बंदों की होती है
कभी खुदा को  आजमाया नहीं जाता है......

घर लोटकर आने वाले का सिर्फ इंतजार किया करते है
कभी गुम हुए लोगों का मातम नहीं मनाया जाता है

प्यार में मर मिटने वाले तो मर मिटते है
फिर मुर्दों से गुनाह कबूल कराया  नहीं जाता है

बे गुनाह को ही सजा मिलती है...?
कभी जिन्दा लोगों को दफनाया नहीं जाता है ....... 

                     //.....Gurjar.....//