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Thursday, January 26, 2012

उसने की नहीं बफा तो में क्या करूँ......




उसने की नहीं बफा तो में क्या करूँ ,
उसकी बेबफाई तो मेरे साथ थी ........

वो नहीं मेरे साथ तो में क्या करूँ ,
उसकी याद तो मेरे साथ थी .....

इस तरह उजड़ जाएगी
बाद उसके मेरी दुनिया तो में क्या करूँ
कुछ पल के लिए तो वो मेरे साथ थी ......

वो सोचती होगी मेने उसे भुला दिया
तो में क्या करूँ
बाद मरने के वो कब मेरे साथ थी ....

दर्द मेरा ज़माने  से जुदा था तो में क्या करूँ
मुझे तो मरने के बाद भी सिर्फ उसकी तलाश थी ....
..////..Gurjar..////....

1 comment:

  1. सुन्दर रचना .. आपकी कविता ने मन तार को झंकृत कर दिया .... आपको बसंती ऋतू के आगमन पर शुभकामनायें..

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