"सिर्फ एक दुआ मांगी है कबूल करना,
भूल से भी कभी ,मुझे मेरी माँ से दूर न करना,
छीन लेना मेरे जिस्म से एक -२ कतरा लहू का ,
पर भूल के कभी मुझे माँ से दूर न करना"
(बी.एस.गुर्जर)
Saturday, March 5, 2016
सोच
लोग हामेशा ही अपनी गालतीयो पर पारदा ढालते हे , कभी अपनी गालती मान कर तो देखो , फिर तुमहे कितना सकू मिलता हे ।
No comments:
Post a Comment