"सिर्फ एक दुआ मांगी है कबूल करना,
भूल से भी कभी ,मुझे मेरी माँ से दूर न करना,
छीन लेना मेरे जिस्म से एक -२ कतरा लहू का ,
पर भूल के कभी मुझे माँ से दूर न करना"
(बी.एस.गुर्जर)
Wednesday, February 2, 2011
Gurjars
न गुजरना तुम उस गली से जिस गली में गुज्जर रहते है ,चीते की दहाड़ शेर जैसा जिगर रखते है ,इसलिए हमें लोग गुज्जर कहते है एक बार जो ठान ले वो कर के रहते है ,अंजाम से कभी नहीं डरते बस आगाज करते है ,
sahi hai pavan bhai..........
ReplyDeletegreat great, or agar great se bhi bada koi word ho to vhi. wah, muaaaaah. good bro, seena choda ho gya, is blog ko padh ke.
ReplyDeletewell Said Pawan..
ReplyDeletewah kya bt hai...gud pavan g
ReplyDelete