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Tuesday, February 22, 2011

Ab to wo chand ko bhi..........

अब तो वो चाँद को भी गैर कहने लगे है , कसूर उनका नहीं कसूर हमरा है हम जो उनके करीब रहने लगे है ,जब से बनाया है उसने हमें अपना सारी दुनिया को भुलाने लगे है ,जब कहा उसने हमें अपना हर पल हमारी  यादो में खोने लगे है अब तो वो चाँद को भी गैर  कहने लगे है


  दूर जाये भला हम   कैसे  उनकी आँखों में  खाव जो हमरे रहने लगे है ,बात कर भी दे अगर बिछड़ने की उनकी आँखों से आंसू गिरने लगे है ,प्यार में  थे अब तक वो अब तो प्यार में  हम भी रहने लगे है ,सिलसिले मोहोब्बत के कहाँ  तक जा पहुंचे,अब तो वो चाँद को भी गैर कहने लगे है , कसूर उनका नहीं कसूर हमरा है हम जो उनके करीब रहने लगे है-----wrt by...pavan gurjar

 

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