Text selection Lock by Hindi Blog Tips

Sunday, October 9, 2011

उपवन सूने हें.......


उपवन सूने हें
  खावोँ  के दरमियाँ
सुनहरे पल बचे थोड़े हें
जोड़े थे संग सपने जिसके
वो तो खुद हताश हें 
जो कहते थे कभी मेरे हें....

बंधे थे जो कभी प्रीत की  डोर से
आज बन के चंद अफसाने
       करते वो मेरी गजलों में शोर हे..........

  झूम उठती थी जो वादीयाँ कभी
    देखकर मोहोब्बत हमारी
  आज रोती हे वही हंशी वादियाँ
     जिन्हें देखकर हम
      एक दूजे के बाहोँ में 
                 खिलखिला उठते थे ............

पूछकर ज़मी से देखा
कमी हमारी खलती हे
क्या.. तुमको भी,
मजबूर थी अश्क
अपने दिखा न सकी
ये भी एक मजबूरी थी
          दिल की दरारों को छुपा न सकी........

चाँद से पूछा ....
क्या तुम भी खुशनुमा चांदनी  रात
में हमारी कमी महसूश करते हो
इश्क की बातें जो तुम
 हमारी  सुना करते थे
टूट कर बिखर जाती थी
 चांदनी तुम्हारी बाहोँ में
जब इश्क उसे तुम
             मेरी तरह करते थे............

जब पूछा मेने मेरे दिल से
तुम कैसा महसूश करते हो
जबाव  दिल का ..
मेरी तो हर धड़कन में
 नाम उसका रहता  हे
 क्या तुम मेरा
          दर्द समझ सकते हो .........
                                                                                 .>बी .एस .गुर्जर<
.

3 comments:

  1. ज़ज्बात ही ज़ज्बात.....

    सुन्दर अभिव्यक्ति.....!!

    ReplyDelete
  2. ha.. chand apka dard jaroor janta hoga......itni acchi abhibykti

    ReplyDelete