"सिर्फ एक दुआ मांगी है कबूल करना,
भूल से भी कभी ,मुझे मेरी माँ से दूर न करना,
छीन लेना मेरे जिस्म से एक -२ कतरा लहू का ,
पर भूल के कभी मुझे माँ से दूर न करना"
(बी.एस.गुर्जर)
Friday, March 9, 2012
कदम दर कदम ....
कदम दर कदम हम थकते जायेंगे
पन्ने जीवन के हम पलटते जायेंगे !
गीत कोई नया गीत कोई पुराना हम गुनगुनाएगे
भरी दोपहरी में भी हम ऑफिस जायेंगे !
भले आज जाना पड़े घर चलकर पैदल रिक्से के रुपये बचायेंगे !
वाह .. क्या जज्बा है ... ख्वाइश पूरी करने को पैदल भी चलेंगे ...
ReplyDeletewaah waah kya baat hai gurjar ji, farmaishen puri karna to koi aap se seekhe... shubhkamnaye ki aap yunhi unki har farmaish puri karte rahen.
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