"सिर्फ एक दुआ मांगी है कबूल करना,
भूल से भी कभी ,मुझे मेरी माँ से दूर न करना,
छीन लेना मेरे जिस्म से एक -२ कतरा लहू का ,
पर भूल के कभी मुझे माँ से दूर न करना"
(बी.एस.गुर्जर)
Sunday, June 17, 2012
शुकराना तेरा करूँ कितना ......
शुकराना तेरा करूँ कितना
मेने न चाहा था कभी जितना ...
लगा के तिलक हर रोज
तुझे पूजा था मेने कितना ...
आज भी मेरे दोनों हाथ खली हे
तुने ,मुझे दिया ही कितना ......
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