सुन लो अरज फरियादी
की यमदूत जी
कुछ तो यमलोक
कुछ तो यमलोक
मैं बदलाव करा दो!
युग बदला , कुछ तो नया रास्ता बुझा दो
मानव आज का योग्य नहीं
इतना जीवन जीने को
तीस वर्ष की आयु बहुत है
उमर इस की कम करा दो!
जरा मेरी विनती पर गौर करा दो!
ख़त्म करो किस्सा विवाह का
मानव जाती पर अब रोक लगा दो
मेरे इस विचार पर बैठक जल्दी लगा दो
अगर प्रस्ताव मेरा समझ न आया हो
तो चार जूती धना-धन सर पे जमा दो
रोग दोष मानव के सारे अब मिटा दो!
न करो और निराश हमें
अब जल्दी से हमें रोबोटो बना दो!.....
बी.एस .गुर्जर
यम लोक हिला इसलिए मेरी कविता की
ReplyDeleteपंग्तियाँ भी हिल गयी है ,,,,है ,,छमा करे ......
sahi hai yaaar. foto bhi sahi lagayi hai.
ReplyDeleteYAM HAI HUM HUM HAI YAM.,,,,,,,,,,,,,,,,,
ReplyDeleteशुक्रिया आपकी सुन्दर कविता के लिए ......अच्छा लगा आपका हिलता हुआ कविता :)
ReplyDeletebahut acchi kavita...
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