लोग हामेशा ही अपनी गालतीयो पर
पारदा ढालते हे ,
कभी अपनी गालती मान कर
तो देखो ,
फिर तुमहे कितना सकू मिलता हे ।
by .(B.S.Gurjar)
"सिर्फ एक दुआ मांगी है कबूल करना, भूल से भी कभी ,मुझे मेरी माँ से दूर न करना, छीन लेना मेरे जिस्म से एक -२ कतरा लहू का , पर भूल के कभी मुझे माँ से दूर न करना" (बी.एस.गुर्जर)
लोग हामेशा ही अपनी गालतीयो पर
पारदा ढालते हे ,
कभी अपनी गालती मान कर
तो देखो ,
फिर तुमहे कितना सकू मिलता हे ।
by .(B.S.Gurjar)