झरने की कलकल में तुम हो !
सावन की पहली फुहार में तुम हो
दूर बैठे उस मांझी के मल्हार में तुम हो !
नाच रही गीत मिलन के गाते हुए
उस बिरहा के घुंगरू की झंकार में तुम हो!
बह के चमकती ओश की बूंदों की चमक में तुम हो
भगवान् के भजन में तुम हो
अल्लाह की नवाज में तुम हो !
कोयल के मधुर आवाज में तुम हो
मस्त गगन में शोर मचाते पंछियोँ की चहचाहट में तुम हो !
मेने तो हर जगह तुम्हे देखा हे
पर न जाने तुम किस खुमार में ग़ुम हो
कभी छूकर तो देखो मुझे मेरे दिल की हर धड़कन में सिर्फ तुम हो!
superb..sweet
ReplyDeleteAchchha likha hai..badhai...
ReplyDeleteभगवान् के भजन में तुम हो
ReplyDeleteअल्लाह की नवाज में तुम हो !
कोयल के मधुर आवाज में तुम हो
बहुत सुंदर भावनाएं हैं आपकी ....और उन्हें आपने खूबसूरती से अभिव्यक्त किया है ....आपका आभार ...कभी चलते - चलते पर भी पधारें ...आपका स्वागत है
www.chalte-chalte.com
कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
ReplyDeleteवर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .
gud, ye dil tum bin kahin lgta nhi hum kya kre. nice creation by u bro.
ReplyDeletejidhar dekhoon udhar too hai
ReplyDeletebas too hai...
bas too hai....!!
khoobsoorat....!!
***punam***
bas yun...hi..