कभी तो देखो हमें चहेरे से अपनी जुल्फें हटा के
कभी तो टोंको हमें अपना बना के!
हम तो कब से अपनी बाहे फैलाये बैठे हे
एक बार तो गिरो तुम मेरी बाहों में अपनी जुल्फे बिखरा के
हमने सुना हे आपकी जुल्फों की छाव में जन्नत का सकूं मिलता हे
हम तो हे इंतजार में कब हमें ये मोका मिलता हे !
खनक चूडियों की मेरे कानो में कब गूंजेगी
खुसबू गजरे की कब मेरी बाहोँ में महकेगी !
आज चली थी हवा बाते हवा ने तुम से हजार की
कभी जुल्फे उलझाई तुम्हारी तो दुप्पटे के संग छेड-छाड़ की !
उस एक हवा के झोंके ने मुस्किल मेरी आसन की
हवा में लहराते दुपट्टे से हमने बाते तमाम की
दिल की धड़कन अचानक इतनी तेज हो गयी ऐसा लगा
मनो उसके दुपट्टे ने मेरे दिल से एक पल में बाते तमाम की !
हमने दुपट्टा उनका क्या लोटाया उन्हें हमरी तो जान ही निकल गयी
स्पर्स हाथों से हाथो का ही नहीं हुआ ,,उनकी जुल्फें भी मेरे चहेरे से लिपट गयी
तांकते रहे वो हमें और हम उन्हें यू लगा हम दोनों नैनो के भंबर में डूबते चले गये
फिर होना क्या था हम खाव में थे और खाव में ही रह गये ,, पवन गुर्जर ,,
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