मुख मंडल की बात निराली खिली हो कही सरसों और दिल में छा गयी हरयाली !
पहले पहल दीदार हुआ निराला उसने कैद कर लिया जुल्फों में अपनी लगा दिया ताला
पल्लू तो नहीं था सर पे पर था दुपट्टा छन्नी वाला देख रूप सुहाना हुआ में देवाना !
अचानक आ गया जुबान पर एक फिल्मी गाना , क्या खूब लगती हो बड़ी सुन्दर दिखती हो !
बात नैनो से हुई पहुच गयी सात फेरों तक ,आप जान ही गए होंगे क्या हुआ अभी तक
घोड़ी चड़ा तोरन लगाया ख़ुशी -२ आफत में आपने घर ले आया
जम कर हुआ शोर गुल हर कोई जस्न मनाया, फिर मिला मोका दूध जलेबी का हमने खूब लुत्फ़ उठाया !
जम कर हुआ शोर गुल हर कोई जस्न मनाया, फिर मिला मोका दूध जलेबी का हमने खूब लुत्फ़ उठाया !
दिन गुजर गये कुछ दिनों के लिए वो हमसे दूर गये ,हम दूध जलेबी के चक्कर में खुद को भी खुल गये
चला सिलसिला कुछ ऐसा की अब तो जान के भी लाले पड़ गये ,लोग तो कहते थे बेटा तुम्हारे बारे न्यारे हो गये !
ताज महल अब तो उजड़ी इमारत लगता है ,सर पटक कर दीवार पर रोना अब अच्छा लगता हे
बात -२ पर झगड़ा मुझे तो सब कुछ एक लफड़ा लगता हे ,दे दिया ढोल टुटा फूटा जिसे ठीक कर पाना मुस्किल लगता हे !
बात अच्छे पक्बानो की मत करो ,मुझे तो अब कांदे(प्याज ) से रोटी खाना अच्छा लगता हे दूर से तो बहुत देखा सूरज को पर आज मालूम चला पास उसके रहकर पल -२ जलना पढता हे !
ये मेरी दास्ताँ नहीं हे मेरी समस्त कवी बंधू इस राह से हर एक को गुजरना पड़ता हे
इस लिए तो कहती हे मेरी कलम रब ने बिगाड दी जोड़ी हमारी -२ ....धन्यवाद ......(पवन गुर्जर )....
ये मेरी दास्ताँ नहीं हे मेरी समस्त कवी बंधू इस राह से हर एक को गुजरना पड़ता हे
इस लिए तो कहती हे मेरी कलम रब ने बिगाड दी जोड़ी हमारी -२ ....धन्यवाद ......(पवन गुर्जर )....
nice way of expression...
ReplyDeletevery funny pavan bhai .. :)
ReplyDeletenice.pavan
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