पानी की हे सारी कहानी हो चाहे ठंड़ा चाहे हो गरम पानी !
झांक रही हे धरा कब बरसेगा पानी
कसर बची थी थोड़ी बहुत आ गयी देखो आज घर नानी !
घर- घड़ों से भरे पड़े हे आपस में वो लड़ पड़े हे
बिन पानी सब सूनो लागे एक घड़ा मोहे कोई पानी लादे
उड़ रही तालों से बालू प्यासा लोट गया भालू !
उड़े चिरैया खूब गगन में हो कही पानी की कोई पोखर
दिल भर हुयी खोज पानी की पर लोटना पड़ा उसे मायूश होकर !
>> पवन गुर्जर <<
>> पवन गुर्जर <<
sweet
ReplyDeleteउड़ रही तालों से बालू प्यासा लोट गया भालू !
ReplyDeleteउड़े चिरैया खूब गगन में हो कही पानी की कोई पोखर
दिल भर हुयी खोज पानी की पर लोटना पड़ा उसे मायूश होकर !
waah pawan ji jhkjhor ker rakh diya aapne to
maan gaye aapko
धन्यबाद अमर जी ...आपका स्वागत हे .... बस दिया हे उस रब ने तोफा अनमोल उसे ह्रदये से लगाये जिए जा रहे हे ,कभी आपनी तो कभी ज़माने की तस्वीर बनाये जा रहे हे .........
ReplyDeletesave water save life
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