बड़ा मीठा था सुराही का पानी
आज भी रखती है
बचा कर मेरे लिए नानी
कितना मीठा था सुराही का पानी !
'रस' नानी की कहानियों का जो घुल जाता था
पानी सुराही का बहुत भाता था!
बहुत समझाती थी नानी छोटू को
पर टूटे दांत देख पिंकी के छोटू हँसता था!
मन लड़ने का खूब करता था
बड़ा मीठा था सुराही का पानी
गोद में बैठने को नानी की हर कोई झगड़ता था!
डरता था नानी की कहानियों से चिंटू
आँचल में नानी के छुप जाता था!
फिर भी नानी की कहानियां सुनना उसे भाता था
रात भर पानी सुराही का बड़े करतब दिखता था!
घूंट -२ पानी सुराही का सब को भाता था
नानी की कहानियां सुनने में सब को मजा आता था!
बड़ा मीठा था सुराही का पानी
आज भी रखती है
बचा कर मेरे लिए नानी
कितना मीठा था सुराही का पानी .....गुर्जर
वाह....एक बार फिर से बचपन के दिन याद आ गए .......
ReplyDeletebahut accha laga.. meri nani ki yaad aa gayi mujhko
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर उपस्थित सभी मित्रों को रक्षाबंधन की हार्दिक सुभकामनाये..और नानी की तरफ से सुराही का पानी भी और नानी का प्यार ,,..
ReplyDeleteप्रिय पवन जी
ReplyDeleteनानी की सुराही के बहाने बहुत प्यारी रचना ले'कर आए हैं आज तो … … …
रात भर पानी सुराही का बड़े करतब दिखाता था
सुंदर बचपन की सुंदर स्मृतियां !
हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ
-राजेन्द्र स्वर्णकार