"गज़ल "
में आज कल एक गजल लिख रहा हूँ
वीते हुए कुछ पल लिख रहा हूँ
तेरे चहरे को कमल ,जुल्फों को काली घटा लिख रहा हूँ
में आज कल एक गजल लिख रहा हूँ ....
न दिन की खबर न रात की ,
हर पल की हर एक बात लिख रहा हूँ
में आज कल एक गजल लिख रहा हूँ
वीते हुए कुछ पल लिख रहा हूँ .......
'मोशकी' में डूबे शहर की कुछ कहानियां लिख रहा हूँ
घुंघरू की झंकार ,बिंदिया की चमक लिख रहा हूँ
में आज कल एक गजल लिख रहा हूँ
वीते हुए कुछ पल लिख रहा हूँ .......
महफ़िल से दूर वीराने में लिख रहा हूँ
भीगती बरसात ,कड़कती धुप में लिख रहा हूँ
में आज कल एक गजल लिख रहा हूँ
वीते हुए कुछ पल लिख रहा हूँ .......
उसे चाँदनी ,खुद को चाँद लिख रहा हूँ
वो हुस्न की चादर ओढ़े ,उसे चुपके -२ भीगे बदन देख रहा हूँ
में आज कल एक गजल लिख रहा हूँ
वीते हुए कुछ पल लिख रहा हूँ .......
होटों की नरमी ,दिल की चुभन लिख रहा हूँ
सिसकियाँ ,मुझपे गिरती बिजलियाँ लिख रहा हूँ
में आज कल एक गजल लिख रहा हूँ
वीते हुए कुछ पल लिख रहा हूँ .......
मीठी सी चुभन ,मीठा सा दर्द लिख रहा हूँ
यादों से चुराये कुछ पल लिख रहा हूँ
में आज कल एक गजल लिख रहा हूँ
वीते हुए कुछ पल लिख रहा हूँ .......
वही झूंठी याद ,तेरा अहसाश लिख रहा हूँ
तेरी आंख से गिरे आँसू की तड़फ लिख रहा हूँ
में आज कल एक गजल लिख रहा हूँ
वीते हुए कुछ पल लिख रहा हूँ .......
भरी महफ़िल में उदाश लिख रहा हूँ
तेरी कमी को होकर सर्मशार लिख रहा हूँ
में आज कल एक गजल लिख रहा हूँ
यादों से चुराये कुछ पल लिख रहा हूँ ..........
होके मजबूर ,तुझ से दूर होकर लिख रहा हूँ
देख मेरी आंखों में , आंखें भर -२ लिख रहा हूँ
मरने के बाद भी प्यार, बेसुमार लिख रहा हूँ
में आज कल एक गजल लिख रहा हूँ
वीते हुए कुछ पल लिख रहा हूँ .............
वीते हुए कुछ पल लिख रहा हूँ
तेरे चहरे को कमल ,जुल्फों को काली घटा लिख रहा हूँ
में आज कल एक गजल लिख रहा हूँ ....
न दिन की खबर न रात की ,
हर पल की हर एक बात लिख रहा हूँ
में आज कल एक गजल लिख रहा हूँ
वीते हुए कुछ पल लिख रहा हूँ .......
'मोशकी' में डूबे शहर की कुछ कहानियां लिख रहा हूँ
घुंघरू की झंकार ,बिंदिया की चमक लिख रहा हूँ
में आज कल एक गजल लिख रहा हूँ
वीते हुए कुछ पल लिख रहा हूँ .......
महफ़िल से दूर वीराने में लिख रहा हूँ
भीगती बरसात ,कड़कती धुप में लिख रहा हूँ
में आज कल एक गजल लिख रहा हूँ
वीते हुए कुछ पल लिख रहा हूँ .......
उसे चाँदनी ,खुद को चाँद लिख रहा हूँ
वो हुस्न की चादर ओढ़े ,उसे चुपके -२ भीगे बदन देख रहा हूँ
में आज कल एक गजल लिख रहा हूँ
वीते हुए कुछ पल लिख रहा हूँ .......
होटों की नरमी ,दिल की चुभन लिख रहा हूँ
सिसकियाँ ,मुझपे गिरती बिजलियाँ लिख रहा हूँ
में आज कल एक गजल लिख रहा हूँ
वीते हुए कुछ पल लिख रहा हूँ .......
मीठी सी चुभन ,मीठा सा दर्द लिख रहा हूँ
यादों से चुराये कुछ पल लिख रहा हूँ
में आज कल एक गजल लिख रहा हूँ
वीते हुए कुछ पल लिख रहा हूँ .......
वही झूंठी याद ,तेरा अहसाश लिख रहा हूँ
तेरी आंख से गिरे आँसू की तड़फ लिख रहा हूँ
में आज कल एक गजल लिख रहा हूँ
वीते हुए कुछ पल लिख रहा हूँ .......
भरी महफ़िल में उदाश लिख रहा हूँ
तेरी कमी को होकर सर्मशार लिख रहा हूँ
में आज कल एक गजल लिख रहा हूँ
यादों से चुराये कुछ पल लिख रहा हूँ ..........
होके मजबूर ,तुझ से दूर होकर लिख रहा हूँ
देख मेरी आंखों में , आंखें भर -२ लिख रहा हूँ
मरने के बाद भी प्यार, बेसुमार लिख रहा हूँ
में आज कल एक गजल लिख रहा हूँ
वीते हुए कुछ पल लिख रहा हूँ .............
>B.S.Gurjar<
bahu acchi gazal hai... phoo bhi bahut acchi.... keep writing more and more
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