तुम्हें गजल कह दूँ ,अच्छी बात
तुम्हें गुनगुनाना मुश्किल होगा.....
तुम्हें गुनगुनाना मुश्किल होगा.....
तुम्हें खाव कह दूँ ,अच्छी बात
तुम्हें आंखों में उतारना मुश्किल होगा .....
तुम्हें चांदनी कह दूँ ,अच्छी बात
तुम्हारी रौशनी में भीगना मुश्किल होगा ......
तुम्हें दिल कह दूँ ,अच्छी बात
मुझे धड़कन बनना मुश्किल होगा ....
तुम्हें रूप कह दूँ ,अच्छी बात
मेरा दर्पण बनना मुश्किल होगा......
तुम्हें समुद्र कह दूँ ,अच्छी बात
मेरा नदी बन पाना मुश्किल होगा .....
तुम्हें रव कह दूँ ,अच्छी बात
तुम्हें पूज पाना मुश्किल होगा ........
VERY NICE GURJAR JI. AAPNE TO MANN MOH LIYA..
ReplyDeletewah.... kya kahu..shanbd hi nhi ha
ReplyDeleteachhi rachna
ReplyDeleteshubhkamnayen
बहुत ही खुबसूरत और कोमल भावो की अभिवयक्ति......
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना.... अंतिम पंक्तियों ने मन मोह लिया...
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