आज तक जीता तो कुछ नहीं ,
पर हारने के लिए बहुत कुछ है
पर हारने के लिए बहुत कुछ है
ले जा रहे हो हीरे, जबह्रात शोक से ले जाओ
असली दोलत तो मुझमे कैद है ...
माँ के आँचल के दूध की मिठाश ,
माँ की लोरियों की गूँज अब तक मेरे कानों में है ...
आई बात अगर कभी उसे मुझसे चुराने की ,
ये गुनाह न करना ,,..?
क्योकि मेरी सांसे उसकी सांसों में कैद है
.. .Gurjar....
wah....... ekdam sacchi baat likhdi aapne
ReplyDeletebhaut hi gahri baat kahi aapne....
ReplyDelete"le jaa rahe ho......"
ReplyDeletebahut khoob...
bahut khoob gurjar ji...
ReplyDeletenav versh ki mangalkamnayen.
बहुत ही सुन्दर भावो को संजोया है
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