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Wednesday, January 4, 2012

ये भी एक दर्द है .....



आजमाईश तो नेक बंदों की होती है
कभी खुदा को  आजमाया नहीं जाता है......

घर लोटकर आने वाले का सिर्फ इंतजार किया करते है
कभी गुम हुए लोगों का मातम नहीं मनाया जाता है

प्यार में मर मिटने वाले तो मर मिटते है
फिर मुर्दों से गुनाह कबूल कराया  नहीं जाता है

बे गुनाह को ही सजा मिलती है...?
कभी जिन्दा लोगों को दफनाया नहीं जाता है ....... 

                     //.....Gurjar.....//

8 comments:

  1. बहुत सुन्दर...

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  2. सुन्दर अभिव्यक्ति.

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  3. wah.. dil se ek awaj nikli..iske dil tak utarte hi

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  4. आपकी कविता पढ़कर मन अभिभूत हो गया

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  5. अच्‍छा लगा आपके ब्‍लॉग पर आकर....आपकी रचनाएं पढकर और आपकी भवनाओं से जुडकर....

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  6. कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-


    सुंदर रचना के लिए आपको बधाई

    संजय कुमार
    आदत….मुस्कुराने की
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  7. माशाअल्लाह........क्या ग़ज़लें हैं

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