आजमाईश तो नेक बंदों की होती है
कभी खुदा को आजमाया नहीं जाता है......
घर लोटकर आने वाले का सिर्फ इंतजार किया करते है
कभी गुम हुए लोगों का मातम नहीं मनाया जाता है
प्यार में मर मिटने वाले तो मर मिटते है
फिर मुर्दों से गुनाह कबूल कराया नहीं जाता है
बे गुनाह को ही सजा मिलती है...?
कभी जिन्दा लोगों को दफनाया नहीं जाता है .......
//.....Gurjar.....//
बहुत सुन्दर...
ReplyDeletewaah kya baat hai gurjar ji bahut umda.
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeletewah.. dil se ek awaj nikli..iske dil tak utarte hi
ReplyDeleteआपकी कविता पढ़कर मन अभिभूत हो गया
ReplyDeleteअच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर....आपकी रचनाएं पढकर और आपकी भवनाओं से जुडकर....
ReplyDeleteकभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
ReplyDeleteसुंदर रचना के लिए आपको बधाई
संजय कुमार
आदत….मुस्कुराने की
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
माशाअल्लाह........क्या ग़ज़लें हैं
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