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Sunday, January 22, 2012

वो रात कटी तो बात कटी......



वो रात कटी तो, बात कटी
ये बात कटी तो, रात कटी ...

वो रात छुपी तो, आँख छुपी
ये आँख छुपी तो, रात छुपी ...

वो एक दाम वसी तो, एक दाम बिकी
ये एक दाम बिकी तो, एक दाम वसी ...

वो सुरताल बसी तो, सुरताल लगी
ये सुरताल वसी तो, सुरताल सजी ....

वो हर बार हंशी तो, हर राह हंशी 
ये हर राह हंशी तो, हर राह सजी ...

वो एक प्यार वसी तो, खुमार लगी
ये एक खुमार लगी तो, प्यार वसी ....

वो एक दर्पण वनी तो, श्रृंगार लगी
ये एक श्रृंगार वनी तो, दर्पण सजी...

वो एक हुश्न की धरोहर लगी तो, यादगार बनी
  ये  धरोहर वनी तो, जग को एक चमत्कार लगी..
....///..Gurjar..///.... 

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