नाम न जाने वो किसका था ,
पर कुछ तो सदा था
संग मेरे वो क्या था...?
न उसे पता था न मुझे पता था
क्या वो मेरी जिंदगी का कोई लम्हा था !
जो हर वक़्त मुझ से जुदा था
पर क्या हुआ, ये न मुझे पता था!
न ये उसे पता था
ये पल ये खुशियों का किसे पता था
दो पल में ही उजड़ जाएगी दुनियां हमारी
न इसकी उसे थी खबर न ये मुझे पता था
पर हर वक़्त मेरा रब मेरी सांसों में बसा था !
मेने कब की थी खुद से जुदा उसे
उसकी मोहोब्बत का वो छल्ला आज भी मेरी ऊँगली में हे
waah bahut khub, wakai deil se lkha gayi bhavmay prastuti ke liye bahut bahut badhai .........
ReplyDeleteye pal ye khushiyaao ka kise pata tha
ReplyDeletedo pal mei hi ujad jayegi duniya hamari
naa iski use khabar naa ye mujhe pata tha
waha bahut khub....dard ko samte huye ...dard se bhare dil ki parestuti.......aabhar
Khubsurati se bhavon ko shabd diya hai , likhane ka andaz bhi achchha hai , shubhkamna....
ReplyDeleteभाव विहल करती अभी व्यक्ति अच्छी शब्द योजना भावानुरूप .
ReplyDeleteसही कहा आपने ना जाने वो क्या था? बहुत ही सुंदर अभिवयक्ति....
ReplyDeletenice ye kiske liye hai
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