हम सपनो के संग उड़ते है
कई पन्ने जीवन में जोड़ते है!
हम लड़ते है खुद से
हम झगड़ते है खुद से
कुछ बाते हंस के तो ,
कुछ बाते रो -२ के करते है!
जिन्दगी हे तो हमारी पर,
इसे हम बस "नाम" की जिन्दगी कहते है
यू तो है जिन्दगी रंग विरंगी,
इसे हम बस "नाम" की जिन्दगी कहते है
यू तो है जिन्दगी रंग विरंगी,
पर हम तो एक ही रंग में जिया करते है
आधी रोटी हम खाते है तो
आधी अपनों के लिए रखते है!
बचपन के खेल बस यादों में रहा करते है
जब से संभाला है होश हर वक़्त,
न जाने किस कर्ज में डूबे रहते है !
फिर भी सिकायत नहीं जिन्दगी तुझ से
हम आज भी अपने माँ बाप को
अपने हाथ से "रोटी" खिलाया करते है! .....गुर्जर ....
बहुत ही खुबसूरत रचना...
ReplyDeletebahut sunder jajwat v sunder abhivykti .
ReplyDeletesunder abhivyakti.
ReplyDeleteshubhkamnayen
sunder abhivyakti.
ReplyDeleteshubhkamnayen
umda rachna .............
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