मुझे मेरे बाद मेरे दीवाने ढूंढते हे
चला के मुझे अंगारों पे फर्फ़ के ढेले ढूंढते हे
मुझे मेरे बाद मेरे दीवाने ढूंढते हे....
गुजर जाते थे जो गुमसुम मेरे करीव से ,
आज वो मेरी रूह को ढूंढते हे
मुझे मेरे बाद मेरे दीवाने ढूंढते हे ....
तूफां में फंसाके कसती मेरी ,
दुआ मेरी सलामती की कबूलते हे
मुझे मेरे बाद मेरे दीवाने ढूंढते हे ......
नजरें चुराना आदत हो गयी थी जिनकी ,
वो अब हर रोज हमें खावोँ में ढूंढते हे
मुझे मेरे बाद मेरे दीवाने ढूंढते हे ......
जिनकी आदत थी हर पल रुलाना,
आज वो मेरे चहरे पे हंशी ढूंढते हे
मुझे मेरे बाद मेरे दीवाने ढूंढते हे ....
...///...गुर्जर...///...