मेरी आँख क्या लगी
जिन्दगी कहाँ थी कहाँ पहुच गयी
जब डर कर बाहर आया सपने से
मेरी तो रूह तक कांप गयी!
ये कैसी झपकी लगी जो बात
भविष्य की हो गयी
गुजार दिए जो १० साल क्या हासील हुआ
बात आने बाले १० सालों की हो गयी!
स्त्रियों के तन पे कपड़ों की कमी ऐसा लगा
मनो अधिक वस्त्र पहनने पे रोक लग गयी!
बात पुर्षोँ की ..? ...मानों यूँ लगा
किसी ने किडनी गवाई दारू में तो
किसी के फेफड़े सिगरेट चूश गयी!
चार दिन की चांदनी में अपनों को भूल गयी
बेच डाला दारू की एक बोतल के लिए
उसी ने तुझको ,,,?जिसके लिए तू अपनों से दूर गयी
क्यों की बेटी पैदा हाय राम मेरी तो किस्मत फूट गयी!.
>B.S.Gurjar<