जख्म दिल के अब तो सूखना है
बस मुझे तुमसे इतना पूछना है
देख कर तुमको क्यों जी उठता था ..?
बस मुझे तुमसे इतना पूछना है ......
मुझ से मिलने के बहाने रोज ढूंडा करते थे
आज बहानो से मुह फेरा करते हो क्यों ...
क्यों नहीं जाते मेरी यादों से
बस मुझे तुमसे इतना पूछना है ....
मेरा रूठना तेरा मनाना
उस पल को फिर से खोजना है......
जिये के मरे अब तो कुछ सोचना है
बस मुझे तुमसे इतना पूछना है .....
जख्म दिल के अब तो सूखना है
बस मुझे तुमसे इतना पूछना है........
में तो तुझे आज तक नहीं भुला पाया..?
न जाने किस पल मोत से लिपटना है
मेरे जख्मों को और कितना कुरेदना है
बस मुझे तुमसे इतना पूछना है
देख कर तुमको क्यों जी उठता था ..?
बस मुझे तुमसे इतना पूछना है ......
मुझ से मिलने के बहाने रोज ढूंडा करते थे
आज बहानो से मुह फेरा करते हो क्यों ...
क्यों नहीं जाते मेरी यादों से
बस मुझे तुमसे इतना पूछना है ....
मेरा रूठना तेरा मनाना
उस पल को फिर से खोजना है......
जिये के मरे अब तो कुछ सोचना है
बस मुझे तुमसे इतना पूछना है .....
जख्म दिल के अब तो सूखना है
बस मुझे तुमसे इतना पूछना है........
में तो तुझे आज तक नहीं भुला पाया..?
न जाने किस पल मोत से लिपटना है
मेरे जख्मों को और कितना कुरेदना है
बस मुझे तुमसे इतना पूछना है......
> बी.एस .गुर्जर<
बहुत ही अच्छी रचना....
ReplyDeleteबहुत गहन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteअलग दुनिया के अलग है लोग
खुद को समझने वाले कम है लोग
मिली है यादो कि दुनिया
पर जीने वाले ...कम है लोग .............अनु
This comment has been removed by the author.
ReplyDeletebahut accha laga..par gurjar ji... dukh bhari sayeri apki blog ki khasiyat ban rahi ha ajkal, kuch alag andaz ki shayeri ki asha me rahenge
ReplyDelete