छोटी सी बात का है बड़ा मोल
हे मेरी कवितायें बड़ी अनमोल!
करनी हे मेरी कवितओं की आलोचना
जरा धीरे से बोल!
दिखा झरोखा मिला है मोका
कुछ खुशियाँ अब तू टटोल
बड़ी सुहानी है कल्पनाओँ की दुनिया
क्यों बैठा है खामोश कुछ तो अब बोल!
करनी हे मेरी कवितओं की आलोचना
जरा धीरे से बोल !
महकती बादियाँ चटकती कलियाँ
करनी हे मेरी कवितओं की आलोचना
जरा धीरे से बोल!
दिखा झरोखा मिला है मोका
कुछ खुशियाँ अब तू टटोल
बड़ी सुहानी है कल्पनाओँ की दुनिया
क्यों बैठा है खामोश कुछ तो अब बोल!
करनी हे मेरी कवितओं की आलोचना
जरा धीरे से बोल !
महकती बादियाँ चटकती कलियाँ
भंबरे की गुंजन का बड़ा है शोर!
साख पर बैठा पंछी देख रहा क्यों
अब तू भी तो कुछ बोल!
करनी हे मेरी कवितओं की आलोचना
जरा धीरे से बोल!
अब तू भी तो कुछ बोल!
करनी हे मेरी कवितओं की आलोचना
जरा धीरे से बोल!
बीती रात बिरहन पूछे
आ गए सजान अखियाँ मींचे!
किसने दिया किसने लिया
वचन प्रीत का साँचा है
आई लिपटने तन्हाई मुझसे
प्रीत से नीर मेरे बार -२ पूछें!
करनी हे मेरी कवितओं की आलोचना
जरा धीरे से बोल ....... >बी.एस .गुर्जर <
किसने दिया किसने लिया
वचन प्रीत का साँचा है
आई लिपटने तन्हाई मुझसे
प्रीत से नीर मेरे बार -२ पूछें!
करनी हे मेरी कवितओं की आलोचना
जरा धीरे से बोल ....... >बी.एस .गुर्जर <
बहुत खूब
ReplyDeleteसुन्दर रचना