मत ढूढना मुझे मेरे बाद
में तो हर पल जिन्दा यहाँ हूँ .....
किस कोने में बैठी है मोत
हर एक पल संभल के चल रहा हूँ
में अपनों से नहीं अपने आप से खफा हूँ
मत ढूढना मुझे मेरे बाद
में तो हर पल जिन्दा यहाँ हूँ
पड़ लेना बस एक बार,
मेरे अश्कों से सने मेरे लफ्जों को
मेरे हर एक लफ्ज में जिन्दा यहाँ हूँ ...
मत ढूढना मुझे मेरे बाद
में तो हर पल जिन्दा यहाँ हूँ ........
जल कर राख हो गये सारे सपने
फिर भी उम्मीद के अंगारों पे चल रहा हूँ
लहू- लुहान हो गया हूँ
फिर भी खुद ही उपचार कर रहा हूँ
किस कोने में बैठी है मोत हर एक पल संभल के चल रहा हूँ
कोन कचेरी है ये, किस जज से में गुहार कर रहा हूँ
क़त्ल किया मैंने खुसियों का
में खुद का गुनाहगार बन रहा हूँ
मत ढूढना मुझे मेरे बाद
में तो हर पल जिन्दा यहाँ हूँ .....
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पड़ लेना बस एक बार,
मेरे अश्कों से सने मेरे लफ्जों को
मेरे हर एक लफ्ज में जिन्दा यहाँ हूँ
> बी.एस .गुर्जर<
ansu aa gaye .....bahut acchi rachna
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