मेरे स्वप्न अधूरे क्यों है
मेरे लक्ष्य अधूरे क्यों है!
हर्ष उल्हाश का माहोल
चारों और..क्यों है
दुखी: आंखों में अश्क
घर में 'चिल्लर' का शोर....क्यों है!
जाने अनजाने ये सभी
माने कैसा ये दोर है...
क्यों गैरों के घर में झाँकू
जब खुद मेरा बेटा ही चोर है !
न जाने मेरा सूरज किस और है!
नाप -तोल की सुई अटक गयी
न जाने ये कैसा तोल है!
मनुष्य जीवन एक बिडम्बना है
अब तो म्रत्यु का मोल है!......
>बी.एस.गुर्जर <
nice one...apki rachnayon ka koi jabab nhi.superb .. par kya apko nhi lagta, ek bahut accha
ReplyDeletesayar banne ke liye ek sad sayeri wale image se bahar nikal na jaroori ha.... ha apne samajik sthiti aur dusre bhabo par bhi likha ha.. par majoriity sad hi hein... kuch dukh se door, pyar se bharpoor shayeri ki asha rakhti hoonn... asha ha ki ap pathak ko nirash nhi karenge
बहुत सुन्दर रचना ..!!
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक और सुन्दर रचना....
ReplyDeleteगहन जीवन दर्शनयुक्त सुन्दर भावाभिव्यक्ति....
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