मुझे मेरे बाद मेरे दीवाने ढूंढते हे
चला के मुझे अंगारों पे फर्फ़ के ढेले ढूंढते हे
मुझे मेरे बाद मेरे दीवाने ढूंढते हे....
गुजर जाते थे जो गुमसुम मेरे करीव से ,
आज वो मेरी रूह को ढूंढते हे
मुझे मेरे बाद मेरे दीवाने ढूंढते हे ....
तूफां में फंसाके कसती मेरी ,
दुआ मेरी सलामती की कबूलते हे
मुझे मेरे बाद मेरे दीवाने ढूंढते हे ......
नजरें चुराना आदत हो गयी थी जिनकी ,
वो अब हर रोज हमें खावोँ में ढूंढते हे
मुझे मेरे बाद मेरे दीवाने ढूंढते हे ......
जिनकी आदत थी हर पल रुलाना,
आज वो मेरे चहरे पे हंशी ढूंढते हे
मुझे मेरे बाद मेरे दीवाने ढूंढते हे ....
...///...गुर्जर...///...
मान के दीवाने अक्सर पीठ पीछे कुछ और ही होते हैं ... वो सच्चे दीवाने नहीं होते होंगे ...
ReplyDeleteओह...क्या लिखा है आपने...सर जी
ReplyDeletejinki aadat thi har pal rulana.....
ReplyDeletebas ab jyada kuchh kahne ki zaroorat na rahi...
khojne vale n jaane kya kya khojte hain...!!
waah jya baat hai.very tuching.
ReplyDeleteGURJAR SAHAB BAHUT BADIY
ReplyDeleteभावनाओं को कागज पर उतारने का तरीका प्रभावी है ... लिखते रहिये ....शुभकामनाएं
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