सोप दी मेने तुम्हारे हाथों में आपने जीवन की डोर
जहाँ मन करे ले चलो मुझे उस और
आज जो हमने तुम्हे आपना कहा
आज जो तुमने हमें अपना कहा !
अब न कोई आरजू है और अब न कोई गम हे
हाँ जिसकी थी तमन्ना वो आज मेरे संग है
जो एक बार चढ़ के कभी उतरेगा नहीं
ऐसा अपनी मोहोब्बत का रंग नहीं !
तुम सबसे प्यारी हो तुम सबसे न्यारी हो
जिस ढोर से बंधकर में पति धर्म निभाऊं वो ढोर बस तुम्हारी हो
में लिखू तुम पढो जीवन की ऐसी गजल हमारी हो
कभी न छूटे साथ ,ढोर इस जीवन की इतनी पक्की हमारी हो !
मेरी हर सुबह तुम से हो शुरू और तुम पे खत्म हो
मेरा प्यार तुम्हारे लिए कभी न कम हो
तुम बस जाओ मेरी रूह में इस तरह
के तुम्हे भूल पाना न मुम्किन हो !......पवन गुर्जर ...
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