खुशियों की झालर हर पल बुनती रहती हूँ
में अक्सर तन्हाई में तुझ से बाते करती हूँ!
कितने सपने हर पल बुनती रहती हूँ
खुशियों की झालर हर पल बुनती रहती हूँ !
तुम सोचते होगे में क्यों आजकल इतनी खुश रहती हूँ
बस हे किसी नन्हे फ़रिश्ते का अहसाश बस उसी में खोयी रहती हूँ !
में हर पल बस उसमे खोयी रहती हूँ
खुसियों की झालर हर पल बुनती रहती हूँ !
मेरी हर एक छोटी सी बात वो समझता हे
हे कितनी दूर मुझसे फिर भी मुझे बड़ा तंग करता है !
में तो इंतजार में हूँ कब वो मुझसे बाते हजार करता है
कितना प्यारा हे इस पल का अहसाश
इस पल में जीने का मन हर एक स्त्री का करता है !
लगता है ख़ुशी का समां ख़तम होने का नाम नहीं लेता है
तेर सिवा भला मेरे पास और कोई काम नहीं रहता है !
हाँ में तेरे लिए छोटे -२ सुन्दर वस्त्रों की बुनाई करती हूँ
खुसियों की झालर हर पल बुनती हूँ !......बी.एस .गुर्जर ....
bhavnaon ko shbdo se lajwab tarike se buna hai aapne....keep it up
ReplyDeletethanks,,ana jee your welcome in my blog......
ReplyDeletewow ..no words for this post !!!!!!!
ReplyDeleteand i m proud of you ki apne kisi women ki khoobsurat feelings,ko itne pyare tareeke se baya kiya..
great !!!!!!!
m glad to read ur blog..
thanks...(sonu) .,,
ReplyDeletepari welcome my blogs....