"मन्नू की सहरारत "
एक दिन अम्मा जी अपने पोते को बोली सुन बेटा मन्नू ?
मन्नू बोला हाँ अम्माजी बोलो अरे बेटा मेरा एक काम करदे ...
मन्नू बोला ठीक है अम्माजी काम ..तो बताओ ?
.मन्नू को बड़ी जल्दी पड़ी थी
उसके दोस्त बहार इंतजार कर रहे थे खेलने के लिए
फिर भी मन्नू ने अम्मा जी की बात मन ली .
अम्मा जी बोली मन्नू तुम अपनी मम्मी से सूजी ले आ ,,,,मन्नू बोला ठीक है
...अम्मा जी अभी लता हूँ ,, और मन्नू अपनी मम्मी से बोला मम्मी अम्माजी ने सुई मगाई है
,,,,,, मन्नू के मम्मी ने कहा देख ले बेटा सुई बही कही दासे पर राखी है ,,
..मन्नू ,,, सुई लेकर .जैसे ही अम्मा जी के कमरे में पंहुचा उसी समय बिजली चली गयी
और अम्मा जी के कमरे में अँधेरा हो गया ....
तभी मन्नू अम्मा जी के कमरे में पंहुचा ,, ..
अम्मा कहाँ हो में सुई ले आया ..अम्मा बोली ठीक हे बेटा ला मुझे दे दे मन्नू =
अम्मा संभल के ठीक हे ये लो अरे कहाँ हे मन्नू सुई गिरा मत देना ....मन्नू ,,,, नहीं अम्मा ये लो ...पकड़ ली ....तभी अम्मा जूर से चीख उठी क्या हुआ ?
,,,, तभी मन्नू की मम्मी आई और उसी पल बिजली भी आ गयी ,,,
मन्नू की मम्मी ने कहा क्या हुआ अम्मा जी इतनी जोर से क्यू चिल्ला रही हो .
..,,अम्मा जी बोली बहु देख तो न जाने मुझे किसे जहरीले कीड़े ने काट लिया है
,,,,पर यहाँ तो कुछ नहीं है अम्मा जी ,,,,?......मन्नू हा हा हां........हस्ते हुए बोला मम्मी अम्मा जी को किसी कीड़े ने नहीं काटा वो तो उनको सुई चुभ गयी ...अम्मा गुस्से में बोली ,,,,नालायक सुई कहाँ हे ..मन्नू बोलो ये लो सुई ...अम्मा ,, मन्नू को मरते हुए बोली अकाल के अंधे मेने सिलने वाली सुई नहीं ...खाने वाली सूजी मगाई थी .,,,,, गूंजा बनाने के लिए ........और तू ये क्या ले आया .....?.,,,बहु तुम क्यों हाश रही हो कुछ नहीं अम्मा,,,,,हा हा हा हा ..........पवन गुर्जर ......
अगर कोई त्रुटी हो तो छमा करे यह मेरा प्रथम हास्य लेखन हे ...मेरे प्रिय समस्त कवी बंधू ......
ReplyDeleteachha prayas ha apka..likhte rahiyega
ReplyDeletethanks,,,, sundrani jee,,,or aapke jeeven ke blogs kaise chal rahe hai .bhut acha laga aap hamre blog pr aaye ......
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